टीकमगढ़ | विकासखंड टीकमगढ़ के ग्राम कारी निवासी अमित चतुर्वेदी ने कृषि विज्ञान केंद्र टीकमगढ़ के वैज्ञानिकों की सलाह से आठ बक्सों के साथ मधुमक्खी पालन शुरू किया। वैज्ञानिकों ने उन्हें बताया कि मधुमक्खी पालने से शहद एवं मोम तो प्राप्त होता ही है साथ ही फसलों का भी परागण के द्वारा उत्पादन में भी 15 से 25 प्रतिषत तक वृद्धि होती है। उसके बाद चतुर्वेदी ने मुरैना से मधुमक्खी पालन हेतु आठ बक्से बुलाकर मधुमक्खी पालन शुरू किया।
इस संबंध में अधिक प्रायोगिक एवं बारीकी जानकारी के लिए कृषि विज्ञान केंद्र टीकमगढ़ के वैज्ञानिकों ने छतरपुर से मधुमक्खी पालक श्री बाबूराम प्रजापति को बुलाकर जानकारी दिलवाई गई और शहद निकालने के लिए नौगांव से सियाराम को बुलाकर लगभग 10 किलोग्राम शहद बक्सों से निकलवाया गया। कृषि विज्ञान केंद्र टीकमगढ़ के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. किरार एवं डॉ. यू.एस. धाकड़ ने अमित को गर्मी में मधुमक्खी को फूल प्राप्ति हेतु उड़द, मूंग एवं कद्दू वर्गीय फसलें लगाने की सलाह दी।
कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा विगत वर्ष क्षमता विकास के अंतर्गत 20 ग्रामीण युवकों को एक माह का प्रशिक्षण भी दिया गया। वैज्ञानिक मधुमक्खी पालन एवं मशरुम उत्पादन द्वारा जिले में ग्रामीण युवाओं को स्वरोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए लगातार प्रयास एवं तकनीक प्रदान कर रहे हैं।
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