मकर संक्रांति का महत्व
मकर संक्रांति के दिन स्नान, दान और सूर्य देव की आराधना का विशेष महत्व होता है. आज के दिन सूर्य देव को लाल वस्त्र, गेहूं, गुड़, मसूर दाल, तांबा, स्वर्ण, सुपारी, लाल फूल, नारियल, दक्षिणा आदि अर्पित किया जाता है. मकर संक्रांति के पुण्य काल में दान करने से अक्षय फल एवं पुण्य की प्राप्ति होती है.
भगवान श्रीराम ने की थी पतंग उड़ाने की शुरुआत
पुराणों में उल्लेख है कि मकर संक्रांति पर पहली बार पतंग उड़ाने की परंपरा सबसे पहले भगवान श्रीराम ने शुरु की थी. तमिल की तन्दनानरामायण के अनुसार भगवान राम ने जो पतंग उड़ाई वह स्वर्गलोक में इंद्र के पास जा पहुंची थी.भगवान राम द्वारा शुरू की गई इसी परंपरा को आज भी निभाया जाता है.
दान का है विशेष महत्व
मकर संक्रांति के दिन दान का विशेष महत्व है. इस दिन गरीबों को यथाशक्ति दान करना चाहिए. पवित्र नदियों में स्नान करें. इसके बाद खिचड़ी का दान देना विशेष फलदायी माना गया है. इसके अलावा गुड़-तिल, रेवड़ी, गजक आदि का प्रसाद बांटा जाता है.
शुभ मुहूर्त (MAKAR SANKRANTI DAN PUN TIME)
भगवान सूर्य 14 जनवरी दिन गुरुवार की सुबह 8 बजकर 30 मिनट पर धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करेंगे. इसी के साथ मकर संक्रांति की शुरुआत हो जाएगी. वहीं, दिन भर में पुण्य काल करीब शाम 5 बजकर 46 मिनट तक रहेगा. महापुण्य काल सुबह में ही रहेगा. माना जाता है कि पुण्य काल में स्नान-दान करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है.
ये सामग्री दान करने की है मान्यता
सूर्यदेव को जल, लाल फूल, लाल वस्त्र, गेहूं, गुड़, अक्षत, सुपारी और दक्षिणा अर्पित की जाती है. पूजा के उपरांत लोग अपनी इच्छा से दान-दक्षिणा करते हैं. इस दिन खिचड़ी का दान भी विशेष महत्व रखता है.
ऐसे करें घर पर मकर संकांति की पूजा
– सुबह जल में गंगाजल, सुगंध, तिल, सर्वऔषधि मिलाकर स्नान करें. स्नान करने के दौरान गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वति। नर्मदे सिन्धु कावेरी जलऽस्मिन्सन्निधिं कुरु। इस मंत्र को पढ़े.
– भगवान विष्णु की पूजा करें, भगवान को तिल, गुड़, नमक, हल्दी, फूल, पीले फूल, हल्दी, चावल भेट करें. घी का दीप जलाएं और पूजन करें.
– इसके बाद सूर्यदेव को जल में गुड़ तिल मिलाकर अर्घ्य दें.
– जल में काले तिल, गुड़ डालकर पीपल को जल दें,
– जरूरतमंदों को तिल, गुड़, चावल, नमक, घी, धन, हल्दी जो भी भगवान को भेट किया वह दान कर दें.
– सूर्यपुराण, शनि स्तोत्र, आदित्यहृदय स्तोत्र, विष्णु सहस्रनाम का पाठ करना लाभकारी रहेगा.