(एम्स) अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (All India Institute Of Medical Sciences) के निदेशक रणदीप गुलेरिया ने शनिवार को चेतावनी दी कि यदि कोविड-उपयुक्त व्यवहार का पालन नहीं किया गया और भीड़-भाड़ नहीं रोकी गई, तो अगले छह से आठ सप्ताह में वायरल संक्रमण की अगली लहर देश में दस्तक दे सकती है.
भारत अप्रैल और मई में कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर से बुरी तरह प्रभावित हुआ था, जिसमें प्रतिदिन बड़ी संख्या में लोगों की जानें गई थीं और विभिन्न अस्पतालों में ऑक्सीजन की आपूर्ति में कमी के कारण संकट बढ़ गया था. यहां तक कि कोरोना महामारी से निपटने के लिए देश के अधिकांश हिस्सों में पाबंदी और सख्त प्रतिबंध भी लागू किए गए थे.
अब संक्रमण के मामलों की संख्या में गिरावट देखी गई है और संक्रमण दर भी पिछले कई दिनों से घट रही है. कोविड-19 के प्रतिदिन सामने आने वाले मामले जो करीब चार लाख हो गए थे अब ये कम होकर 60,000 के आसपास हो गए हैं.
इसके बावजूद कोरोना की तीसरी लहर की आशंका व्याप्त है.
अब जबकि कोरोना के मामलों में कमी आ रही है और धीरे-धीरे प्रतिबंधों में ढील देने की शुरुआत हो गई है, ऐसे में विशेषज्ञ तीसरी लहर के आने की चेतावनी दे रहे हैं, जिसमें कुछ का कहना है कि यह बच्चों को सबसे अधिक प्रभावित करेगा.
सावधानी के तौर पर हमें क्या करना है और आगे क्या उम्मीद करनी चाहिए
कुछ ही दिन पहले भारत के महामारी विशेषज्ञों ने संकेत दिया था कि कोविड-19 की तीसरी लहर अपरिहार्य है और इसके सितंबर-अक्टूबर से शुरू होने की आशंका है. हालांकि, डॉ. गुलेरिया ने शनिवार को कहा कि अगर कोरोना प्रोटोकॉल का पालन नहीं किया गया, तो अगले 42 से 56 दिनों में वायरस की तीसरी लहर का दंश झेलना पड़ सकता है.
गुलेरिया ने कहा कि जब तक बड़ी संख्या में आबादी का टीकाकरण नहीं हो जाता, तब तक कोविड-उपयुक्त व्यवहार का आक्रामक तरीके से पालन करने की आवश्यकता है. उन्होंने संक्रमण के मामलों में बड़ी वृद्धि होने पर कड़ी निगरानी और क्षेत्र-विशेष में लॉकडाउन की आवश्यकता पर जोर दिया.
हाल ही में रॉयटर्स ने तीन से सत्रह जून के बीच एक स्नैप सर्वे किया था, जिसमें दुनियाभर के डॉक्टर, वैज्ञानिक, वायरोलॉजिस्ट, महामारी विशेषज्ञ और प्रोफेसर सहित 40 विशेषज्ञ शामिल थे. इन सबों से यह पूछा गया था कि वे कब तक कोरोना की तीसरी लहर के आने की उम्मीद करते हैं. सर्वे में शामिल 85 प्रतिशत से ज्यादा लोगों (21 से 24) ने कहा कि कोरोना की अगली लहर अक्टूबर में दस्तक देगी.
इनमें तीन वे विशेषज्ञ भी शामिल थे, जिन्होंने महामारी के अगस्त में आने का अंदेशा जताया था, जबकि अन्य 12 ने सितंबर माह में तीसरी लहर के आने की बात कही. बाकी के तीन विशेषज्ञों ने कहा कि कोविड-19 की तीसरी लहर नवंबर 2021 और फरवरी 2022 में आ सकती है.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और डॉ. गुलेरिया ने बार-बार दोहराया है कि अब तक इस बात का कोई सबूत नहीं है कि संक्रमण की अगली लहर में बच्चे अधिक प्रभावित होंगे. हालांकि, कुछ विशेषज्ञों को यकीन है कि कोरोना की अगली लहर बच्चों के बेहद घातक हो सकती है.
रॉयटर्स द्वारा किए गए सर्वेक्षण में, लगभग दो-तिहाई विशेषज्ञों से जब पूछा गया कि क्या बच्चों और 18 वर्ष से कम उम्र के लोगों को संभावित तीसरी लहर में सबसे अधिक जोखिम होगा, तो उन्होंने इसका जवाब ‘हां’ में दिया.
रिपोर्ट में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरोसाइंसेज (NIMHANS) के एपिडेमियोलॉजी डिपार्टमेंट के हेड डॉ. प्रदीप बनांडुर के हवाले से कहा गया,
‘इसका कारण यह है कि वे (बच्चे) टीकाकरण के मामले में पूरी तरह से अछूते हैं क्योंकि वर्तमान में उनके लिए कोई टीका उपलब्ध नहीं है.’ बच्चों पर कोरोना वायरस की तीसरी लहर के असर को लेकर शुक्रवार को स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने कहा, ‘सार्स कोवी-2 सीरो पॉजिटिविटी दर बच्चों में वयस्कों की तुलना में अधिक है और इसलिए कोविड-19 की तीसरी लहर में बच्चों के वयस्कों की तुलना में बहुत अधिक प्रभावित होने की संभावना नहीं है, लेकिन इसके बावजूद सरकार अपनी तैयारियों में कोई कमी नहीं छोड़ेगी.
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