खतरे में तालाब संस्कृति- बुंदेलखंड की पारंपरिक संस्कृति का अभिन्न अंग रहे हैं ‘तालाब

 

टीकमगढ़। क्षेत्रफल की दृष्टि में टीकमगढ़ जिले का सबसे बृहद तालाब मोहनगढ़ तहसील अंतर्गत आने वाले गांव नंदनवारा तालाब माना जाता है। जो चंदेल कालीन समय में निर्मित सदियों से अपने सौंदर्य और आकर्षण की आभा भी बिखेरता चला आ रहा है। लेकिन वर्तमान समय में प्रशासन की अनदेखी के चलते इसका क्षेत्रफल चारों तरफ से सिकुड़ता जा रहा है, जो इस समय चिंता का विषय है। सदियों से मकर संक्रांति पर यहां सात दिवसीय मेले का आयोजन होता चला आ रहा है जो क्षेत्र के लिए यहां की पहचान का विषय है। पूर्व में आम बुंदेली गांव की बसावट एक पहाड़, उससे इर्द-गिर्द सटे तालाब के हुआ करते थे। टीकमगढ़ जिले के तालाब नौंवी से 12वी सदी के बीच वहां के शासक रहे चंदेल राजाओं की तकनीकी सूझबूझ के अद्वितीय उदाहरण है। कालांतर में टीकमगढ़ जिले में 1100 से अधिक चंदेलकालीन तालाब हुआ करते थे। कुछ को प्रशासन की अनदेखी के चलते अवैध अतिक्रमण और भ्रष्टाचार हकीकत में समा गए।
और आधुनिकीकरण की आंधी में ओझल हो गए।
सरकारी रिकार्ड में यहां 995 ताल दर्ज हैं परंतु हकीकत में इनकी संख्या 400 के आसपास सिमट गई है। सरकारी रिकार्ड के मुताबिक 995 में से नौ वन विभाग, 88 सिंचाई, 211 पंचायतों, 36 राजस्व विभाग, 55 आम निस्तारी और 26 निजी काश्तकारों के कब्जे में है। इन 421 तालाबों के अतिरिक्त बकाया बचे 564 तालाब लावारिस हालत में तकरीबन चैरस मैदान बन गए हैं।