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गणेश चतुर्थी उत्सव की हुई शुरुआत, जानिए पूजा विधि, मुहूर्त, महत्व और सभी जरूरी जानकारी, खुश हो जाएंगे भगवान

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हरतालिका तीज (Hartalika Teej) के अगले दिन से गणेश चतुर्थी पर्व की शुरुआत हो जाती है। ये पर्व पूरे 10 दिनों तक चलता है। साल 2021 में इस उत्सव की शुरुआत 10 सितंबर से होने जा रही है और इसका समापन 19 सितंबर को अनंत चतुर्दशी (Anant Chaturdashi) के दिन होगा। जिसे गणेश विसर्जन (Ganesh Visarjan) के नाम से भी जाना जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को भगवान गणेश का जन्म हुआ था। जानिए गणेश चतुर्थी की पूजा विधि विस्तार से यहां।

 

गणेश चतुर्थी व्रत पूजन विधि:

-इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें।

-इसके बाद तांबे या फिर मिट्टी की गणेश जी की प्रतिमा लें।

-फिर एक कलश में जल भरें और उसके मुख को नए वस्त्र से बांध दें। फिर इस पर गणेश जी की स्थापना करें।

-गणेश भगवान को सिंदूर, दूर्वा, घी और 21 मोदक चढ़ाएं और उनकी विधि विधान पूजा करें।

-गणेश जी की आरती उतारें और प्रसाद सभी में बांट दें।

-10 दिन तक चलने वाले इस त्योहार में गणेश जी की मूर्ति को एक, तीन, सात और नौ दिनों के लिए घर पर रख सकते हैं।

-ध्यान रहे कि गणेश जी की पूजा में तुलसी के पत्तों का इस्तेमाल नहीं किया जाता है।

-गणेश पूजन में गणेश जी की एक परिक्रमा करने का विधान है।

 

गणेश चतुर्थी मुहूर्त: गणेश चतुर्थी पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 11.03 AM से दोपहर 01.33 PM तक रहेगा। चतुर्थी तिथि की शुरुआत 10 सितंबर को 12.18 AM से हो जाएगी और इसकी समाप्ति रात 09.57 बजे होगी। इस दिन वर्जित चन्द्रदर्शन का समय 09:12 AM से 08:53 PM तक रहेगा। (यह भी पढ़ें- गणेश चतुर्थी पर इस कथा को पढ़ने से सारी मनोकामनाएं पूर्ण होने की है मान्यता)

 

इन मंत्रों से करें गणेश जी की स्‍थापना

ओम वक्रतुण्डैक दंष्ट्राय क्लीं ह्रीं श्रीं गं गणपते वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा

ओम हस्ति पिशाचि लिखे स्वाहा

ओम एकदन्ताय विहे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दन्तिः प्रचोदयात्।

गणपतिर्विघ्नराजो लम्बतुण्डो गजाननः।

‘त्रयीमयायाखिलबुद्धिदात्रे बुद्धिप्रदीपाय सुराधिपाय।

नित्याय सत्याय च नित्यबुद्धि नित्यं निरीहाय नमोस्तु नित्यम्।।’

 

गणेश जी का मंत्र क्या है?

ॐ गं गणपतये नमः

श्री वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटी समप्रभा निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्व-कार्येशु सर्वदा॥

ॐ श्रीं गं सौभ्याय गणपतये वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा।

 

गणेश की पूजा के दौरान इन मंत्रों का करें जाप

ओम गंगणपतये नमः

ओम श्रीं गं सौभ्याय गणपतये वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा।

 

गणेश चतुर्थी पर नहीं देखा जाता चांद: मान्यता है गणेश चतुर्थी पर चंद्रमा के दर्शन नहीं करने चाहिए क्योंकि इससे कलंक लगने का खतरा रहता है। अगर भूल से चंद्रमा के दर्शन हो जाएं तब इस मंत्र का 28, 54 या 108 बार जाप करने लेना चाहिए। (यह भी पढ़ें- गणेश चतुर्थी उत्सव के दस दिन इन 3 राशियों के लिए बेहद शुभ, करियर में जबरदस्त लाभ मिलने के आसार)

 

चन्द्र दर्शन दोष निवारण मन्त्र:

सिंहःप्रसेनमवधीत् , सिंहो जाम्बवता हतः।

सुकुमारक मा रोदीस्तव, ह्येष स्यमन्तकः।।

 

गणेश जी के जन्म से जुड़ी कथा: पौराणिक मान्यताओं अनुसार एक बार पार्वती माता स्नान करने के लिए जा रही थीं। उन्होंने अपने शरीर की मैल से एक पुतले का निर्माण किया और उसमें प्राण फूंक दिए। माता पार्वती ने गृहरक्षा के लिए उसे द्वार पाल के रूप में नियुक्त किया। क्योंकि गणेश जी इस समय तक कुछ नहीं जानते थे उन्होंने माता पार्वती की आज्ञा का पालन करते हुए भगवान शिव को भी घर में आने से रोक दिया। शंकरजी ने क्रोध में आकर उनका मस्तक काट दिया। माता पार्वती ने जब अपने पुत्र की ये दशा देखी तो वो बहुत दुखी हो गईं और क्रोध में आ गईं। शिवजी ने उपाय के लिए गणेश जी के धड़ पर हाथी यानी गज का सिर जोड़ दिया। जिससे उनका एक नाम गजानन पड़ा l

 

घर में स्थापित न करें गणेश जी की ऐसी प्रतिमाएं

गणेश जी के जिन प्रतिमाओं की सूड़ दाईं ओर मुड़ी होती है वो सिद्धिपीठ से जुड़ी होती हैं। इन प्रतिमाओं में अपार ऊर्जा होती है, गणेश जी के ऐसे मंदिर सिद्धिविनायक मंदिर कहलाते हैं। जैसे की मुंबई का सिद्धि विनायक मंदिर. घर में गणेश जी की ऐसी मूर्ति स्थापित नहीं करती हैं।

 

गणेश चतुर्थी की पूजा के समय राहु काल का रखें खास ध्यान

पंचांग के अनुसार 10 सितंबर 2021, शुक्रवार को राहु काल सुबह 10 बजकर 44 मिनट से दोपहर 12 बजकर 18 मिनट तक रहेगा। राहु काल में शुभ कार्य करना वर्जित माना गया है।

 

गणेश चतुर्थी पर बन रहा शुभ योग

गणेश चतुर्थी पर इस बार रवि योग रहेगा। लंबे समय बाद इस बार चतुर्थी पर चित्रा-स्वाति नक्षत्र के साथ रवि योग का संयोग बन रहा है। 9 सितंबर दोपहर 2 बजकर 30 मिनट से अगले दिन 10 सितंबर 12 बजकर 57 मिनट तक रवियोग रहेगा। इस योग में गणेश भगवान की पूजा करना अत्यंत ही शुभ माना जाता है।

 

गणेश चतुर्थी पर इस विधी के साथ करें पूजा-अर्चना

मान्यता के अनुसार गणेश पूजा आरंभ करने से पहले सूर्योदय से पूर्व स्नान करें। स्वच्छ वस्त्र धारण करें। उसके बाद गणेश के समक्ष बैठकर पूजा प्रारंभ करें। गणेश जी का गंगा जल से अभिषेक करें। इसके उपरांत गणेश जी को अक्षत, फूल, दूर्वा घास, मोदक आदि अर्पित करें। इसके बाद धूप, दीप और अगरबत्ती जलाएं। गणेश जी की आरती और मंत्रों का जाप करें।

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बप्पा को इन चीजों का लगाएं भोग, घर में बनी रहेगी सुख-शांति

गणेश चतुर्थी पर बप्पा को मोदक, मोतीचूर के लड्डू, बेसन के लड्डू, केला, खीर, नारियल, मेवा से बने लड्डू और श्रीखंड का भोग लगाएं। इसके अलावा बप्पा को दूध से बने कलाकंद का भी भोग लगाया जा सकता है, यह उन्हें काफी प्रिय था। इनका भोग लगाने से बप्पा की कृपा भक्तों पर बनी रहती है। साथ ही घर में उनकी कृपा, सुख-शांति व समृद्धि भी आती है।

गणपति बप्पा को पूजन करते समय इस चीज का लगाय भोग-

गणेश जी को पूजन करते समय दूब, घास, गन्ना और बूंदी के लड्डू अर्पित करने चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से भगवान गणेश प्रसन्न होते हैं और अपना आशीर्वाद प्रदान करते हैं।

भगवान गणेश को उनके प्रिय मोदक का लगाएं भोग

पूजा होने के बाद भगवान गणेश को उनके प्रिय मोदक का भोग लगाना चाहिए।

इसके बाद धूप, दीप और अगरबत्ती जलाकर गणेश जी की आरती करना चाहिए।

आरती के बाद गणेश को प्रसन्न करने वाले मंत्रों का जाप करना चाहिए।

 

गणपति बप्पा को न चढ़ाएं तुलसी के पत्ते, ये है वजह

मान्यता है कि तुलसी ने भगवान गणेश को लम्बोदर और गजमुख कहकर शादी का प्रस्ताव दिया था, इससे नाराज होकर गणपति ने उन्हें श्राप दे दिया था।

भगवान गणेश के इस मंत्र का करें जाप, होगी आत्मविश्वास की वृद्धि

अगर आत्मविश्वास की कमी हो या फिर आपके काम बनते-बनते बिगड़ते हों तो ‘ऊं गं नम:’ मंत्र से गणेशजी की पूजा करें। मान्यता है कि इससे खोया हुआ आत्मविश्वास लौट आता है। बिगड़ते काम बनने लगते हैं।

 

इन नियमों के साथ करें गणेश जी की प्रतिमा की स्थापना

श्री गणेश की मूर्ति मिट्टी या पीतल की होनी चाहिए। मूर्ति पर चन्दन या पीली मिट्टी का लेप लगाएं। यदि आप पीतल की मूर्ति स्थापित कर रहे हैं तो विसर्जन के समय चंदन या पीली मिट्टी का लेप जल में बह जाएगा और आप उस पीतल की मूर्ति को वापस घर लाकर मंदिर में रख सकते हैं। साबुत चावल की ढेरी पर पूजा की सुपारी पर चार बार कलावा लपेट कर बैठा दें। फिर सुपारी ओर चावल को गंगा में विसर्जन कर दें यह बहुत शुभ होता है।

 

 

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