छतरपुर में बक्सवाहा जंगल से मिलेंगे लगभग 28 हजार करोड़ के हीरे, पेड़ों की रक्षा के लिए हो रहा विरोध, जाने क्या है पूरी कहानी?

मध्यप्रदेश के पिछड़े जिलों में शामिल छतरपुर दुनिया में चमकनेवाला है। यहां बक्सवाहा तहसील में बंदर डायमंड ब्लॉक ग्रीनफिल्ड परियोजना को शुरू किया जाना है।

इस परियोजना को एस्सेल कंपनी ने जीता है। इससे सरकार को लगभग हजार करोड़ रुपए मिलने की उम्मीद है। साथ ही हजारों लोगों को रोजगार भी मिलेगा।

 

साल 2005 से 2011 के बीच पता लगाया गया

दरअसल बंदर डायमंड ब्लॉक को साल 2005 से 2011 के बीच पता लगाया गया। उसके बाद 2012 में इसके लिए ऑस्ट्रेलिया की रियो टिंटो को 954 हेक्टेयर क्षेत्र के माइनिंग लीज के लिए लेटर ऑफ इंटेंट (एलओआई) दिया गया।

हालांकि रियो टिंटो ने कई मंजूरियां भी प्राप्त कर ली, लेकिन साल 2017 में वह इस परियोजना से बाहर चली गई। इसके बाद यह परियोजना मध्य प्रदेश सरकार को वापस मिल गई।

 

2019 में की नीलामी की गई

साल 2019 में ब्लॉक की नीलामी की गई। इसमें कई कंपनियों ने हिस्सा लिया। ब्लॉक में मध्य प्रदेश सरकार को 30.05 पर्सेंट रेवेन्यू हिस्सेदारी की बोली मिली। 19 दिसंबर 2019 को ज्यादा बोली लगाने वाले एस्सेल को एलओआई जारी किया गया। पर्यावरण में होने वाले कुल उत्सर्जन को कम करने के लिए हालांकि 954 हेक्टेयर क्षेत्र को कम कर के 364 हेक्टेयर की माइनिंग लीज कर दी गई। इसमें 3.4 करोड़ कैरेट्स हीरा शामिल है। अनुमान है कि यहां हर साल 30 लाख कैरेट्स कच्चे हीरे मिलेंगे।

 

भारत दुनिया के 10 सबसे बड़े कच्चे हीरे उत्पादन वाले देशों में शामिल होगा

इस परियोजना से भारत दुनिया के 10 सबसे बड़े कच्चे हीरे उत्पादन वाले देशों में शामिल हो जाएगा। शुरू होने के बाद यह एशिया की सबसे बड़ी हीरा की उत्पादन वाली खदान होगी और दुनिया की सबसे बड़ी 15 हीरा उत्पादन खदानों में से एक होगी। इस परियोजना से रोजगार मिलेगा। इससे आत्मनिर्भर भारत को बढ़ावा मिलेगा। इस परियोजना को डेवलप करने में 2,500 करोड़ रुपए का खर्च होगा।

 

सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़ा हुआ जिला

छतरपुर जिला सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़ा हुआ जिला है, जिसके हिसाब से यह परियोजना काफी अच्छी मानी जा रही है। परियोजना से निकलने वाले हीरों की नीलामी एलओआई की शर्तों के अनुसार सबसे पहले मध्य प्रदेश राज्य में की जाएगी। मध्य प्रदेश सरकार राज्य में हीरों के लिए एक नीलामी केंद्र भी बना रहा है। इसमें हीरों की कटिंग, पॉलिशिंग और गहने बनाने जैसे उद्योग डेवलप किए जाएंगे।

 

382 हेक्टर जंगल की जमीन है

परियोजना में 382 हेक्टर जंगल की जमीन है जो छतरपुर के कुल जंगल का केवल 0.25% है। यहां पर इस परियोजना से हर 400 पेड़ में से केवल 1 पेड़ ही प्रभावित होगा। इसलिए यहां पर कंपनी 3.83 लाख पेड़ लगाएगी जबकि प्रभावित पेड़ों की संख्या केवल 2.15 लाख होगी। पेडों को प्रभावित होने से पहले ही इसे लगाए जाने की योजना शुरू होगी।

 

364 हेक्टेयर इलाके में कोई गांव नहीं है

इस परियोजना के 364 हेक्टेयर इलाके में कोई गांव नहीं है। खनन पट्‌टा कंपनी को देने से पहले 275 करोड़ रुपए का एडवांस पेमेंट राज्य सरकार को किया जाएगा। इसमें से 27.5 करोड़ रुपए का पेमेंट पहले हो चुका है। इसके साथ ही सरकार को जमीन की लागत आदि के लिए 200 करोड़ रुपए भी दिए जाएंगे। चूंकि ब्लॉक को 30.05 पर्सेंट के रेवेन्यू शेयर मूल्य पर नीलाम किया गया था इसलिए सरकार को इससे 28 हजार करोड़ रुपए मिलेंगे।

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कार्यालय ने 7 जून के सोशल मीडिया में दी जानकारी

प्रदेश की विकास परियोजनाओं में कटने वाले पेड़ों से कई ज्यादा पेड़ लगाए जाएं। इससे पर्यावरण को नुकसान नहीं होगा। छतरपुर जिले की विकास परियोजना में 2 लाख पेड़ कटेंगे जबकि 10 लाख पौधे वहां पर लगाए जाएं।

 

हो रहा है विरोध

स्थानीय लेवल से लेकर अब लगभग हर जगह और हर स्तर पर इसका विरोध अब बढ़ता जा रहा है.