जिस मध्यप्रदेश के कोरोना मॉडल की तारीफ कर रहे पीएम मोदी, जाने उसकी सच्चाई, कोरोना के आंकड़ों पर सवालों के घेरे में शिवराज सरकार।

जिस मध्यप्रदेश के कोरोना मॉडल की तारीफ कर रहे पीएम मोदी, जाने उसकी सच्चाई, कोरोना के आंकड़ों पर सवालों के घेरे में शिवराज सरकार।

पीएम मोदी ने 18 मई को कई राज्यों के डीएम से कोरोना महामारी को लेकर बात की. प्रधानमंत्री ने डीएम द्वारा किए गए कामों और सुझाओं के साथ-साथ आगे की रणनीति पर चर्चा की. इस वर्चुअल बैठक में पीएम ने कोरोना प्रबंधन को लेकर मध्य प्रदेश के मॉडल की तारीफ़ की. रिपोर्ट्स के मुताबिक़ पीएम ने कहा कि कोरोना अब शहरों से ग्रामीण इलाकों में फ़ैल रहा. ऐसे में जिला, ब्लॉक और पंचायत स्तर पर क्राइसिस मैनेजमेंट कमेटियां बनाई गई हैं. इसमें पक्ष-विपक्ष के सभी लोगों को जोड़ा गया है. यह जनता से जुड़ने का सबसे अच्छा तरीका है. और मध्य प्रदेश में बेहतर काम हुआ है.

ये तो हो गई पीएम की बात. लेकिन ग्राउंड पर क्या हाल हैं? क्या वाकई कोरोना का मध्य प्रदेश मॉडल शानदार है और उसे और प्रदेशों को भी फॉलो करना चाहिए?

 

सबसे पहले जाने क्या है, मध्य प्रदेश का कोरोना के हाल?

18 मई तक करीब 83 हज़ार एक्टिव केस हैं. अब तक 7,139 लोगों की मौत हो गई है. 18 मई को 5,412 नए मामले सामने आए हैं. 18 मई को 70 लोगों की मौत हुई है. इंदौर, भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर और रतलाम जैसे जिले सबसे अधिक प्रभावित हैं.

 

 

मध्य प्रदेश में कोरोना संक्रमण दर में गिरावट है. पॉजिटिविटी रेट 7.7 तक पहुंच गई है. लेकिन जिस स्पीड से गिरावट है, वो सवालों के घेरे में है. मध्य प्रदेश में पिछले एक महीने में औसतन टेस्टिंग में ख़ास कमी या कुछ ख़ास बढ़ोतरी नहीं नज़र आती है, लेकिन संक्रमण दर पिछले एक महीने में 25 फीसद से घटकर 8 फीसद से कम पर पहुंच गई है. अगर आप एक महीने के डेटा को देखते हैं तो कुछ मौकों को छोड़ दें, तो सिर्फ गिरावट नज़र आती है. ऐसे में कई एक्सपर्ट्स इस पर सवाल उठा रहे हैं.

 

आंकड़ा छुपाने के लिए हटवा लिए गए मुक्तिधाम से रजिस्टर?

लोकेंद्र सिंह सोलंकी मध्य प्रदेश में जन्म-मृत्यु पंजीयन विभाग के उपायुक्त हैं. दैनिक भास्कर ने इनसे बातचीत की है. तीन सवाल पूछे हैं. इन सवालों और लोकेंद्र सिंह के जवाबों को देखिए.

दैनिक भास्कर: इंदौर नगर निगम मृत्यु प्रमाण पत्र की संख्या क्यों छिपा रहा है?

लोकेंद्र सिंह: ऐसा नहीं है. अभी कोरोना के आंकड़े संकलित नहीं हो सके हैं.

दैनिक भास्कर: आप तो ऑनलाइन सर्टिफिकेट जारी कर रहे हैं. ऐसा कैसे संभव है कि कितने लोगों की मृत्यु हुई, इसका पता नहीं चले?

लोकेंद्र सिंह: ऑनलाइन सर्टिफिकेट का प्रोसेस अलग है. संख्या बिना परखे नहीं जारी कर सकते.

दैनिक भास्कर: आंकड़ा छुपाने के लिए सभी मुक्तिधाम-कब्रिस्तान से रजिस्टर हटवा लिए गए?

लोकेंद्र सिंह: संक्रमण न बढ़े, इसके लिए शासन के निर्देश पर व्यवस्था की गई है.

भास्कर की रिपोर्ट मुताबिक़ इंदौर की बात करें तो मुक्तिधाम का रिकॉर्ड नहीं दिया जा रहा. हर दफ़ा कोरोना कर्फ्यू जैसे कारण बताकर डेटा बताने से इनकार दिया जाता है.

 

 

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झूंठ बोल रही है, शिवराज सरकार:

दैनिक भास्कर की रिपोर्ट बताती है कि सरकारी रिकॉर्ड के मुताबिक़ मार्च और अप्रैल के महीने में नॉन कोविड मौतें करीब तीन गुना तक बढ़ी है. लेकिन इन मौतों का क्या कारण है, सरकार ये नहीं बता रही. सरकार के पास इस सवाल का कोई जवाब नहीं है कि भोपाल में मार्च में कोरोना से 912 मौतें हुईं, वो अप्रैल में बढ़कर 2758 पर कैसे पहुंच गई?

 

इसी तरह इंदौर में मार्च से अप्रैल में 745 मौतों का आंकड़ा 2378 पर कैसे पहुंच गया? सरकार के मुताबिक़ मार्च से लेकर 18 मई तक पूरे प्रदेश में सिर्फ 3 दिन कोविड से मौत का आंकड़ा 100 को पार किया है. लेकिन भास्कर की रिपोर्ट इस सरकारी दावे की धज्जियां उड़ा रही हैं.

 

 

दैनिक भास्कर ने मध्य प्रदेश के 26 जिलों में अपने 26 रिपोर्टर से यह डेटा जुटाया है जो सरकार के डेटा पर सवाल उठा रहा है. भास्कर की रिपोर्ट मुताबिक़ सिर्फ मार्च महीने में 26 जिलों में 868 लोगों की मौत कोविड से हुई और 3783 लोगों की नॉन-कोविड से. लेकिन ये आंकड़ा अप्रैल में एकदम बदल जाता है. अप्रैल में नॉन-कोविड मौतों का आंकड़ा 11,002 पर पहुंच जाता है, जो कि सवालों के घेरे में है. अप्रैल महीने में कोविड से 10,599 लोगों की मौत हुई है. अब सवाल ये है कि नॉन-कोविड मौतों की संख्या में करीबी तीन गुना की बढ़ोतरी कैसे हुई?

 

सरकार के मुताबिक़ देवास, शिवपुरी, मंदसौर, नीमच, झाबुआ, दामोह, टीकमगढ़ जैसे जिलों में मार्च में एक भी मौत कोविड से नहीं हुई है. ऐसे में इन सभी सरकारी डेटा पर सवाल उठ रहे हैं? सिर्फ 18 मई को ही मध्य प्रदेश में 5 डॉक्टर्स की मौत हो गई है लेकिन सरकार कह रही कि चीज़ें ठीक हो रही हैं.

 

 

शिवराज सरकार ने RTPCR टेस्टिंग घटा दी?

कोरोना जांच को लेकर रैपिड एंटीजन टेस्ट लगातार सवालों के घेरे में रहे है, लेकिन शिवराज सरकार ने रैपिड एंटीजन टेस्ट की संख्या बढ़ा दी है. राज्य सरकार का इसके पीछे तर्क है कि 4 मई को इंडियन काउंसिल ऑफ़ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने गाइडलाइंस जारी कर एंटीजन टेस्ट बढ़ाने को कहा है. दैनिक भास्कर की रिपोर्ट मुताबिक़ 4 मई तक मध्य प्रदेश में 67-70 फीसद तक RTPCR टेस्ट होते थे. इस दौरान संक्रमण दर 20 फीसद के करीब रही. 5 मई को RTPCR टेस्ट 60 फीसद और एंटीजन 40 रहा. लेकिन 18 मई तक ये आंकड़ा पलट गया. RTPCR 40 फीसद तक रह गया और एंटीजन 60 फीसद तक पहुंच गया. एक्सपर्ट्स मध्य प्रदेश में संक्रमण दर में कमी का सबसे प्रमुख कारण एंटीजन टेस्टिंग में बढ़ोतरी को बता रहे हैं.

 

ऐसे में अब तय आपको करना है जिस मध्य प्रदेश के कोरोना मॉडल का ढोल पीटा जा रहा, उसकी सच्चाई क्या है?

 

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