मध्यप्रदेश l हाई कोर्ट ने पंचायत चुनाव के संबंध में दायर याचिका पर शीघ्र सुनवाई करने से इनकार कर दिया है। चीफ जस्टिस रविविजय कुमार मलिमठ तथा जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की युगलपीठ ने पूर्व निर्धारित तिथि 3 जनवरी को सुनवाई के निर्देश दिए हैं|
मध्यप्रदेश हाई कोर्ट ने त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के संबंध में दायर याचिका पर शीघ्र सुनवाई करने से इनकार कर दिया है। हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रविविजय कुमार मलिमठ तथा जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की युगलपीठ ने अर्जेंट सुनवाई के आवेदन को खारिज करते हुए पूर्व निर्धारित तिथि 3 जनवरी को सुनवाई के निर्देश दिए हैं|
गौरतलब है कि भोपाल निवासी मनमोहन नायर तथा गाडरवाडा निवासी संदीप पटैल सहित अन्य पांच याचिकाओं में तीन चरणों में होने वाले मध्य प्रदेश पंचायत चुनाव को चुनौती दी गई है। याचिका में कहा गया है राज्य सरकार ने पूर्व में तय आरक्षण लागू कर चुनाव करवाने के संबंध में अध्यादेश पारित किया है। सरकार द्वारा उक्त अध्यादेश कांग्रेस शासनकाल में निर्धारित आरक्षण को निरस्त कर लागू किया गया है। प्रदेश सरकार का उक्त अध्यादेश पंचायत चुनाव एक्ट का उल्लंघन करता है।
याचिका में कहा गया था कि पंचायत एक्ट में रोटेशन व्यवस्था का प्रावधान है। पूर्व की तरफ आरक्षण करना पंचायत एक्ट की रोटेशन व्यवस्था के खिलाफ है। इसके अलावा 2018 में निवाडी जिला बनाया गया है। बिना सीमांकन किए नए जिले में पंचायत चुनाव नहीं करवाए जा सकते हैं। याचिका में कहा गया था कि जिला पंचायत, जनपद पंचायत के अध्यक्ष व उपाध्यक्ष पद भी रोटेशन प्रक्रिया के तहत निर्धारित करने का प्रावधान है। हाई कोर्ट ने याचिका की सुनवाई करते हुए चुनाव प्रक्रिया में रोक लगाने से इनकार करते हुए अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था हाई कोर्ट जाएं
हाईकोर्ट से अंतरिम राहत नहीं मिलने पर याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। सर्वोच्च न्यायालय ने बुधवार को याचिकाओं की सुनवाई करते हुए अपने आदेश में कहा था कि उच्च न्यायालय में संबंधित याचिकाएं लंबित हैं| इसलिए प्रकरण की सुनवाई उच्च न्यायालय द्वारा की जाए। जिसके बाद याचिकाकर्ता की तरफ से हाई कोर्ट में अर्जेंट सुनवाई के लिए आवेदन प्रस्तुत किया गया था| युगल पीठ ने याचिकाकर्ताओं की आवेदन को खारिज दिया|
क्या है अध्यादेश में
पिछले महीने राज्य सरकार ने मध्य प्रदेश पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज (संशोधन) अध्यादेश-2021 लागू किया था। इसके जरिए कमलनाथ सरकार की बनाई व्यवस्था को पलट दिया गया था। नए अध्यादेश से सरकार ने ऐसी पंचायतों का परिसीमन निरस्त कर दिया है, जहां एक साल में चुनाव नहीं हुए हैं। सभी जिला, जनपद या ग्राम पंचायतों में पुरानी व्यवस्था ही लागू रहेगी। यानी 2014 की ही व्यवस्था रहेगी। जो पद जिस वर्ग के लिए आरक्षित है, वही रहेगा। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि पंचायत राज कानून में रोटेशन आधार पर आरक्षण होता है। अध्यादेश ने इसकी मूल भावना का उल्लंघन किया है। इस वजह से यह गैर-संवैधानिक है और इसे तत्काल रद्द किया जाए।