पिछली जेब में रखा पर्स आपको दे सकता है दर्द जाने क्यों

माना जाता है कि जिसका पर्स जितना ज्यादा मोटा होगा, उसका रूतबा उतना ही बड़ा होगा। लोग छोटे से वॉलिट (पर्स) में रुपयों के अलावा क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड, विजिटिंग कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, आईडी प्रूफ और न जाने क्या-क्या चीजें रखकर पिछली जेब में डालकर निकल पड़ते हैं.

लेकिन रुकिए, क्या आप जानते भी हैं कि आप अपनी पैंट की पिछली जेब में रखे इस पर्स से कितनी गंभीर परेशानियों को बुलावा दे रहे हैं?

डॉक्टरों की मानें तो पिछली जेब में आराम फरमा रहा यह पर्स हमारे शरीर को कई तरह से नुकसान पहुंचा सकता है.

 

साइटिका पेन

सोसायटी फॉर अल्जाइमर ऐंड एजिंग रिसर्च के जनरल सेक्रेटरी धिकव बताते हैं कि पिछली जेब में रखा हुआ भारी-भरकम और मोटा पर्स आपके हिप जॉइंट और कमर के निचले हिस्से में दर्द पैदा करता है। कुल्हे की एक नस होती है जिसे साइटिका कहते हैं।

जब पिछली जेब में पर्स रखकर हम ज्यादा देर तक बैठते हैं तो साइटिका नस दब जाती है। इसके दबने से हिप जॉइंट और कमर के निचले हिस्से में दर्द शुरू होता है जो बढ़ते-बढ़ते पंजे तक पहुंच जाता है। इसे आम भाषा में पैर का सुन्न हो जाना या पैर का सो जाना कहते हैं लेकिन साइंस की भाषा में इसे शूटिंग पेन कहा जाता है।

 

हो सकता है पिरिफोर्मिस सिंड्रोम

जब रोजाना इस तरह का दर्द होने लगे तो इसे पिरिफोर्मिस सिंड्रोम कहा जाता है। पिछली जेब में मोटा पर्स रखने की वजह से कूल्हा एक तरफ झुका रहता है जिसकी वजह से रीढ़ की हड्डी पर और ज्यादा दबाव पड़ता है।

सीधे बैठने के बजाय कमर के निचले हिस्से में इंद्रधनुष जैसा आकार बन जाता है। पर्स जितना ज्यादा मोटा होगा, शरीर उतना ज्यादा एक तरफ झुकेगा और उतना ही ज्यादा दर्द होगा। मोटा पर्स रखने से रीढ़ की हड्डी में टेढ़ापन आ सकता है और यदि रीढ़ की हड्डी में पहले से कोई दिक्कत है तो परेशानी ज्यादा बढ़ सकती है।

 

लम्बे समय तक बैठने वालों को ज्यादा परेशानी

इस तरह की सबसे ज्यादा समस्या कोचिंग स्टूडेंट्स को होती है क्योंकि वह पिछली जेब में पर्स डालकर 8-8 घंटे तक क्लासेज में बैठे रहते हैं।

 

यह परेशानी नौजवानों, ओवर वेट और लंबे समय तक बैठने वालों में पाई जा रही है और इसके शिकार लोगों की संख्या भी बढ़ती जा रही है। हालांकि सही इलाज लेने से यह समस्या ठीक हो जाती है लेकिन कहीं न कहीं यह समस्या रीढ़ की हड्डी को कमजोर कर देती है इसलिए यही सलाह देते हैं कि कभी भी पर्स को पिछली जेब में न रखें।

 

ऐसे बचें इस परेशानी से

– पिछली जेब में पर्स रखकर ज्यादा देर तक न बैठें

– हिप स्ट्रेचिंग एक्सर्साइज करें

– हर 20 मिनट में 2 मिनट के लिए सीट से उठें और यहां-वहां घूमें

– सबसे सरल उपाय पर्स को आगे की जेब या किसी बैग में रखें