महाराष्ट्र विधानसभा से एक साल के लिए निलंबित 12 BJP विधायकों का निलंबन सुप्रीम कोर्ट ने किया रद्द।
इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने 19 जनवरी को मैराथन सुनवाई के बाद BJP विधायकों की याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया था. सुप्रीम कोर्ट को यह तय करना था कि महाराष्ट्र विधानसभा द्वारा विधायकों का एक साल का निलंबन सही है या नहीं. शीर्ष न्यायालय ने आज अपना फैसला सुनाया.
अदालत ने पक्षकारों को एक हफ्ते में लिखित दलीलें देने को कहा था. हालांकि, सुनवाई के दौरान कोर्ट ने महाराष्ट्र विधानसभा के एक साल के निलंबन पर तीखी टिप्पणी की थी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि ये फैसला लोकतंत्र के लिए खतरा है और तर्कहीन है. पीठ ने महाराष्ट्र राज्य की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील आर्यमा सुंदरम से सत्र की अवधि से आगे निलंबन की तर्कसंगतता के बारे में कड़े सवाल किए थे.
जस्टिस खानविलकर ने अपनी टिप्पणी में कहा था, “जब आप कहते हैं कि कार्रवाई तर्कसंगत होनी चाहिए, तो वहां निलंबन का कुछ उद्देश्य होना चाहिए और उद्देश्य सत्र के संबंध में है. इसे उस सत्र से आगे नहीं जाना चाहिए. इसके अलावा कुछ भी तर्कहीन होगा. असली मुद्दा निर्णय की तर्कसंगतता के बारे में है और वही किसी उद्देश्य के लिए होना चाहिए कोई भारी कारण होना चाहिए. 6 महीने से अधिक समय तक निर्वाचन क्षेत्र से वंचित रहने के कारण आपका 1 वर्ष का फैसला तर्कहीन है. हम अब संसदीय कानून की भावना के बारे में बात कर रहे हैं. यह संविधान की व्याख्या है जिस तरह से इससे निपटा जाना चाहिए.”
जस्टिस सीटी रविकुमार ने कहा था कि एक और बात चुनाव आयोग को भी मिली. जहां रिक्ति होगी, वहां चुनाव होना है. निलंबन के मामले में, चुनाव नहीं होगा, लेकिन अगर किसी व्यक्ति को निष्कासित कर दिया जाता है तो चुनाव आयोजित किया जाएगा. ये लोकतंत्र के लिए खतरा है. मान लीजिए बहुमत की एक छोटी बढ़त है, और 15/20 लोगों को निलंबित कर दिया जाता है, तो लोकतंत्र का भाग्य क्या होगा?
निलंबित किए गए BJP विधायक
निलंबित किए गए 12 भाजपा विधायकों में आशीष शेलार, गिरिश महाजन, अभिमन्यु पवार, अतुल भातखलकर, नारायण कुचे, संजय कुटे, पराग अलवणी, राम सातपुते, हरीश पिंपले, जयकुमार रावल, योगेश सागर और कीर्ति कुमार बागडिया के नाम शामिल हैं.