दिल्ली: जब कोई बैंक डूब जाता है तो उसका सीधा असर बैंक के ग्राहकों पर पड़ता है. जिस पैसे को वे भविष्य के लिए इकट्ठा कर रहे होते हैं उस पैसे पर डूब जाने का खतरा बन जाता है. और तब ऐसी तस्वीरें सामने आती हैं, जिन्हें देखकर वे लोग भी डर जाते हैं, जिन्होंने दूसरे बैंकों में पैसे जमा कर रखे होते हैं. भारत में बीते सालों में ऐसा बार-बार देखने को मिला है. लेकिन अब केंद्र सरकार ने एक तरह से इस डर को खत्म करने का काम किया है।
दरअसल, केंद्र सरकार ने डिपॉजिट इंश्योरेंस ऐंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (DICGC) एक्ट में संशोधन को मंजूरी दे दी है. आजतक की रिपोर्ट के मुताबिक, बुधवार यानी 28 जुलाई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में इस संशोधन को हरी झंडी दी गई. इसे बैंकों के ग्राहकों के लिए धाकड़ फैसला माना जा रहा है. खासकर उन ग्राहकों के लिए यह फैसला बड़ी राहत है, जिनके बैंक अचानक कोलैप्स कर गए. हम पंजाब एवं महाराष्ट्र कॉपरेटिव बैंक (पीएमसी), यस बैंक और लक्ष्मी विलास बैंक (एलवीबी) के ग्राहकों की बात कर रहे हैं.
बिजनेस टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त मंत्रालय से जुड़े सूत्रों ने पहले भी कहा था कि DICGC अधिनियम में बदलाव डूबे हुए बैंकों के जमाकर्ताओं की आर्थिक सहायता के लिए लाया जा रहा है. सूत्रों ने कहा था,
“पीएमसी जैसे बैंकों के पतन से संकट पैदा हुआ है, जिसके कारण जमाकर्ताओं को परेशान नहीं किया जाना चाहिए. जमाकर्ताओं के लिए आसान और समयबद्ध पहुंच प्राथमिकता होनी चाहिए, जिसके कारण इस बिल में बदलाव लाया जाएगा.”
DICGC यानी जमा बीमा और ऋण गारंटी निगम, भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा नियंत्रित एक सब्सिडायरी (कंपनी कह सकते हैं) है. यह बैंक डिपॉसिट पर बीमा कवर उपलब्ध कराता है. DICGC ही यह सुनिश्चित करता है कि किसी बैंक के बर्बाद होने पर उसके जमाकर्ताओं को एक निश्चित राशि वापस की जाए. बता दें कि पहले यह बीमा राशि सिर्फ 1 लाख रुपये ही थी. मोदी सरकार ने पिछले साल ही इसे बढ़ाकर 5 लाख रुपये किया था.
इस संशोधन के अनुसार यदि कोई बैंक डूब जाता है यानी दिवालिया हो जाता है तो बीमा के तहत खाताधारकों को 90 दिन की सीमा के भीतर-भीतर उनका पैसा मिल जाएगा. इस संशोधन के तहत वे सभी बैंक आएंगे जो कमर्शियली ऑपरेटेड हैं. फिर चाहे ग्रामीण बैंक ही क्यों न हो. बुधवार को कैबिनेट में लिए गए फैसले की जानकारी देते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मीडिया से कहा,
‘कैबिनेट ने आज इंश्योरेंस ऐंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (संशोधन) बिल, 2021 को मंजूरी दे दी है और अब इस बिल को संसद के मॉनसून सत्र में रखा जाएगा.’
क्या था पुराना नियम?
अभी तक के नियम के अनुसार जमाकर्ताओं को 5 लाख रुपये का बीमा होने पर भी तब तक पैसा नहीं मिलता, जब तक रिजर्व बैंक कई तरह की प्रक्रियाएं नहीं पूरी करता. इन प्रक्रियाओं में बैंक का लाइसेंस रद्द करना और लिक्विडेशन अर्थात ऐसेट बेचना जैसी तमाम चीजें शामिल हैं. इसकी वजह से लंबे समय तक ग्राहकों को एक पैसा भी नहीं मिलता और उन्हें आर्थिक तंगी का दौर भी देखना पड़ता है. लेकिन एक्ट में बदलाव होने पर ग्राहक राहत की सांस ले पाएंगे.
कहा जा रहा है कि इस संशोधन के पारित होने बाद जिन दिवालिया बैंकों में ग्राहकों के पैसे फंसे हैं, उन्हें तीन महीने के अंतराल में अधिकतम 5 लाख रुपये मिल सकेंगे. लेकिन बैंक में इससे अधिक राशि जमा हुई तो वो मिलने की कोई गारंटी नहीं है. (Story write by रौनक भैड़ा)
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