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यहां जानें सही तारीख, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि, हम कब मनाएं जन्माष्टमी?

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कोरोना महामारी से राहत मिलने पर दो साल बाद देश भर में गुरुवार और शुक्रवार को कृष्ण जन्माष्टमी का उल्लास छाएगा। हर तरफ आनंद उमंग भयो, जय हो नंदलाल की के जयघोष गूंजेंगे।

जन्म आरती होगी और माखन-मिश्री बांटी जाएगी। यशोदा के लाल को पालने में झूलाने के लिए लंबी-लंबी कतारे लगेगी।

 

भगवान श्रीकृष्ण की नगरी में इस दिन मनेगी जन्माष्टमी

इस बार जन्माष्टमी दो दिन यानी 18 और 19 अगस्त दो दिन मनाई जाएगी, दरअसल अष्टमी तिथि 18 अगस्त को सूर्योदय के समय नहीं लगेगी बल्कि रात को शुरू होगी।19 अगस्त को अष्टमी तिथि दिन और रात दोनों समय रहेगी। ऐसे में कृष्ण की नगरी मथुरा, वृंदावन और द्वारका में कृष्ण जन्माष्टमी का उत्सव 19 अगस्त को मनाया जाएगा।

इस बार रक्षाबंधन की तरह जन्माष्टमी को लेकर दुविधा की स्थिति बनी हुई है कि आखिरकार जन्माष्टमी कब मनाई जाए। 18 या 19 अगस्त को। दरअसल हिंदू धर्म में कोई भी त्योहार या व्रत तिथि के आधार पर मनाई जाती है ऐसे में उदया तिथि में अंतर आने की वजह से व्रत-त्योहार में दिनों का फर्क हो जाता है।

अष्टमी 18 अगस्त को रात 9.20 से 19 अगस्त रात 10.59 बजे तक रहेगी। रोहिणी नक्षत्र 19 अगस्त को 1 बजकर 53 मिनिट से अगले दिन 20 अगस्त को तड़के 4.40 मिनिट तक रहेगी। कृष्ण जन्माष्टमी अक्सर दो अलग-अलग दिन मनाई जाती है। पहले दिन स्मार्त सम्प्रदाय और दूसरे दिन वाली वैष्णव सम्प्रदाय के लिए होती है।

 

अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र का महत्व?

भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र के संयोग बनने पर हुआ था। सभी 27 नक्षत्रों में रोहिणी नक्षत्र का विशेष महत्व होता है। इस नक्षत्र की गिनती बहुत ही शुभ नक्षत्रों में होती है।

 

जन्माष्टमी नीशीथ काल पूजा मुहूर्त 

जन्माष्टमी के दिन कान्हा की पूजा के लिए नीशीथ काल पूजा का मुहूर्त- रात 12:03 से 12:47 तक अवधि- 0 घंटे 44 मिनट

 

जन्माष्टमी पंचोपचार पूजन विधि

जिनको श्रीकृष्ण की षोडशोपचार पूजा करना संभव ना हो उनको पंचोपचार पूजा करनी चाहिए। पूजन करते समय ‘सपरिवाराय श्री कृष्णाय नमः’ यह नाम मंत्र कहते हुए एक-एक सामग्री श्री कृष्ण को अर्पण करना चाहिए। श्री कृष्ण जी को दही ,पोहा और मक्खन का भोग लगाना चाहिए। उसके पश्चात श्री कृष्ण जी की आरती करनी चाहिए।

 

जन्माष्टमी पर श्रीकृष्ण की पूजा कैसे करें  

श्रीकृष्ण की पूजा में उनकी प्रतिमा को गोपी चंदन का गंध प्रयोग में लाया जाता है। श्रीकृष्ण की पूजा करते समय अनामिका से गंध लगाना चाहिए। श्री कृष्ण जी को हल्दी कुमकुम चढ़ाते समय पहले हल्दी और फिर कुमकुम दाहिने हाथ के अंगूठे और अनामिका मैं लेकर उनके चरणों में अर्पण करना चाहिए। अंगूठा और अनामिका जोड़कर जो मुद्रा तैयार होती है,उससे पूजक का अनाहत चक्र जागृत होता है। उस कारण भक्ति भाव निर्माण होने में सहायता होती है।

 

जन्माष्टमी पूजा के लिए शुभ मुहूर्त का समय 

भाद्रपद अष्टमी तिथि पर भगवान विष्णु के अवतार श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाता है। इस साल भी जन्माष्टमी 18 और 19 अगस्त को है। जन्माष्टमी पर निशीथकाल में पूजा करना सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। इस बार निशीथकाल का समय रात के 12 बजकर 03 मिनय से 12 बजकर 47 मिनट तक है। ऐसे में पूजा के लिए 44 मिनट का शुभ मुहूर्त है।

 

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