क्या है, ब्रेन फॉग जो कोविड संक्रमण के ठीक होने के बाद, लोगों को शिकार बना रहा है।

क्या है, ब्रेन फॉग जो कोविड संक्रमण के ठीक होने के बाद, लोगों को शिकार बना रहा है।

क्या आप कोरोना वायरस का शिकार हुए थे और अब ठीक हो चुके हैं, लेकिन ठीक होने के बावजूद आप काम में ध्यान नहीं दे पा रहे हैं, आपको मानसिक थकान महसूस होती है. इसके कई कारण हो सकते हैं, कोरोना संक्रमण के कारण आपके शरीर में कई बदलाव हुए हैं और बहुत कुछ बीमारी से जुड़ा “सोशल स्टिग्मा” आपके दिमाग़ पर असर कर रहा है या कर चुका है. इस कंडिशन को “ब्रेन फ़ॉग (Brain Fog) ” कहते हैं. घबराइए मत, जितना भारी-भरकम ये सुनाई देता है, उतना है नहीं, इससे आप बिना किसी दवाई लिए भी ठीक हो सकते हैं. इसका इलाज बहुत आसान है. लेकिन डॉक्टर से ज़रूर मिलें.

 

 

समझते हैं विस्तार से इस बीमारी के बारे में.

आम तौर पर ब्रेन फ़ॉग किसी भी इंसान को हो सकता है. यह कोई मेडिकल या साइंटिफिक शब्द नहीं है, बल्कि लोगों द्वारा इस्तेमाल किया हुआ एक शब्द है, जिसमें वो बताने की कोशिश करते हैं कि वो कैसा महसूस कर रहे हैं; थकान है, काम करने का मन नहीं हो रहा, ध्यान लगाना मुश्किल हो रहा है, चीजों और बातों का भूलना वैग़ैरह-वैग़ैरह. ऐसे समझिए कि आपको महसूस हो रहा हो कि किसी ने आपको रात के 2 बजे नींद से उठाकर कोई काम करने को कहा हो, या मानो आप 17-18 घंटे कि हवाई यात्रा करके आएं हो- जिसे आम बोल चाल की भाषा में “जेट लैग” कहते हैं. यह सब कुछ, किसी को भी हो सकता है, किसी विशेष बीमारी के होने या ना होने के बावजूद.

 

 

लेकिन कोरोना से ठीक होने के बाद लोग “ब्रेन फ़ॉग” की शिकायत कर रहे हैं. इसकी बात पिछले साल से हो रही है. दरअसल हमारे दिमाग़ के “कॉग्निटिव फंक्शन” जिसे के दिमाग़ द्वारा किए जाने वाले बड़े काम भी कह सकते हैं, वो कोरोना से प्रभावित हो रहे हैं. जैसे की याददाश्त, सोचने की क्षमता, इमोशन और कोर्डिनेशन यानी की समन्वय. फ़ोर्टिस मेंटल हेल्थ प्रोग्राम के डायरेक्टर और जाने माने मनोचिकित्सक डॉ. समीर पारीक इसे बड़े ही आसान शब्दों में समझाते हैं. वो कहते हैं,

“मान लो किसी इंसान को 4-5 दिन अंधेरे कमरे में रखा जाए और फिर उसे एक दिन बाहर ले आया जाए, तो फिर उसे कैसा महसूस होगा. ठीक वैसा ही कुछ मरीज़ों को कोरोना से ठीक होने के बाद महसूस हो रहा है.”

 

 

वो आगे बताते हैं कि संक्रमण के दौरान क्वॉरंटीन में रहने से यह सबसे ज़्यादा हो रहा है. हालांकि वो यह ज़रूर कहते हैं की इसमें कोई घबराने वाली बात नहीं है.