सऊदी अरब प्रशासन ने मस्जिदों में लाउडस्पीकर के इस्तेमाल पर रोक लगा दी है। जिसका विरोध हुआ, तो इसके जवाब में कहा गया कि, लोगों की नींद के लिए यह ज़रूरी है। सऊदी अरब के इस्लामिक मामलों के मंत्री डॉक्टर अब्दुल लतीफ़ बिन अब्दुल्ला अज़ीज़ अल-शेख ने कहा है कि ये फैसला कुछ परिवारों को होने वाली परेशानी के बाद लिया गया है.
ख़बरों के मुताबिक़, बीते सप्ताह सऊदी अरब के इस्लामिक मामलों के मंत्री डॉक्टर अब्दुल लतीफ़ ने इन प्रतिबंधों की घोषणा की थी. उन्होंने कहा था कि मस्जिदों पर लगे लाउडस्पीकर की आवाज़ अधिकतम आवाज़ के एक तिहाई से ज़्यादा नहीं होना चाहिए.
लाउडस्पीकर का प्रयोग केवल नमाज़ और इक़ामत के लिए ही होगा
प्रशासन ने जो सर्कुलर जारी किया है. उसमें मस्जिदों पर लगे लाउडस्पीकर का प्रयोग सिर्फ़ नमाज़ के लिए और इक़ामत के लिए ही किया जा सकता है.
जबकि स्पीकर की आवाज़ अधिकतम आवाज़ के एक तिहाई से ज़्यादा नहीं होगी. सऊदी प्रशासन के इस आदेश में साफतौर पर ये कहा गया कि इस आदेश को ना मानने वालों के ख़िलाफ़ प्रशासन की ओर से कड़ी कार्रवाई की जाएगी.
BBC के मुताबिक, प्रशासन ने ये भी पाया था कि नमाज़ पढ़ते समय भी लाउडस्पीकर को पूरी आवाज़ पर रखा जा रहा था. जिसके बाद ये फैसला लिया गया है।
आदेश के पीछे दिया पैगंबरे इस्लाम हजरत मोहम्मद का हवाला।
सऊदी प्रशासन ने लाउडस्पीकर को लेकर जो आदेश जारी किया है. उसके पीछे पैगंबरे इस्लाम हजरत मोहम्मद का हवाला दिया गया है. मंत्रालय ने इस आदेश के पीछे शरीयत की दलील देते हुए कहा।
“सऊदी प्रशासन का यह आदेश पैगंबर-ए-इस्लाम हजरत मोहम्मद की हिदायतों पर आधारित है.”
सऊदी प्रशासन ने अपने आदेश में ये तर्क भी दिया कि मस्जिद के इमाम नमाज़ शुरू करने वाले हैं, इसका पता मस्जिद में मौजूद लोगों को चलना चाहिए, ना कि पड़ोस के घरों में रहने वाले लोगों को. ये क़ुरान शरीफ़ का अपमान है कि आप उसे लाउडस्पीकर पर चलाएं और कोई उसे सुने ना या सुनना ना चाहे. सऊदी अरब में धर्म के कई बड़े जानकारों ने सरकार के इस आदेश को सही ठहराया है. जबकि अधिकांश जनसंख्या इस फैसले के विरोध में है.