क्या है, दिल्ली सरकार की डोरस्टेप राशन योजना पर केंद्र की रोक, सियासत या नीतिगत

नई दिल्ली। दिल्ली सरकार की कुछ खास योजनाओं में से एक का नाम है घर घर राशन योजना | दिल्ली सरकार का दावा था कि इस योजना ने करीब 72 लाख लोगों सीधे तौर पर फायदा होता क्योंकि उन्हें राशन लेने के लिए कोटेदारों के पास नहीं जाना पड़ता। दिल्ली सरकार इसे औपचारिक तौर पर अगले हफ्ते से लागू करने की योजना बना ली थी। लेकिन लेफ्टिनेंट गवर्नर ने रोक लगा दी है। रोक के पीछे तर्क दिया गया है कि केंद्र से मंजूरी नहीं ली गई है।

 

 

दिल्ली सीएम कार्यलाय के मुताबिक दिल्ली सरकार 1-2 दिनों के भीतर पूरे दिल्ली में राशन की डोरस्टेप डिलीवरी’ योजना शुरू करने के लिए पूरी तरह तैयार थी। एलजी ने दो कारणों का हवाला देते हुए योजना के कार्यान्वयन के लिए फाइल को खारिज कर दिया है केंद्र ने अभी तक योजना को मंजूरी नहीं दी है, और दूसरा कि इस विषय पर केस अदालत के विचाराधीन है।

 

 

 

 

 

 

 

पहले इस योजना का नाम मुख्यमंत्री घर-घर राशन योजना था और मार्च में ही इसे लॉन्च किया जाना था। लेकिन केंद्र सरकार ने आपत्ति जताई थी, जिसमे केंद्र सरकार का तर्क था कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत सब्सिडी पर मिलने वाले खाद्यान्न का इस योजना के दायरे में नहीं लाया जा सकता है। योजना में किसी तरह के बदलाव के लिए संसद अधिकृत है। इस तरह से केंद्र की आपत्ति के बाद दिल्ली सरकार ने योजना में से मुख्यमंत्री शब्द हटा लिया।

 

 

 

 

अब सवाल यही है कि अगर दिल्ली सरकार की इस योजना से 72 लाख लोगों को राशन की दुकानों पर लाइन में नही लगना पड़ता। 72 लाख लोगों को सीधे सीधे घर पर ही हर महीने राशन मिलता तो परेशानी वाली बात क्या है। इस बारे में जानकार कहते हैं कि बेशक दिल्ली सरकार की योजना को जनकल्याणी कहा जा सकता है। लेकिन उसमें सियासत भी छिपी है। दरअसल दिल्ली के नगर निगमों पर बीजेपी का पिछले 15 वर्ष से कब्जा है, ऐसे में दिल्ली सरकार की तरफ से लगातार कोशिश की जा रही है।