मोबाइल और इंटरनेट के इस दौर में सर्विलांस के लिए इंटरनेट कॉल सबसे बड़ी चुनौती बन रही है। सर्विलांस से जहां कई बड़ी घटनाओं के खुलासे की उम्मीद रहती है, वहीं इंटरनेट कॉल ने पुलिस को खूब परेशान किया है। हालांकि पुलिस के आला अधिकारी दावा कर रहे हैं कि सर्विलांस की नई तकनीक पर काम किया जा रहा है लेकिन इसके नतीजे अभी तक नहीं आए हैं।
बड़े अपराधी वारदात के समय मोबाइल का प्रयोग नहीं कर रहे हैं। अगर वे ऐसा करते भी हैं तो इंटरनेट कॉलिंग करते हैं। अपराधी जानते हैं कि इंटरनेट कॉल से पुलिस लोकेशन ट्रेस नहीं कर सकती। वे मोबाइल का प्रयोग करते भी हैं तो पुलिस को गुमराह करने की पूरी कोशिश की जाती है, ताकि मोबाइल की लोकेशन कहीं और की आए। कई मामलों में साबित हो चुका है कि अपराध दूसरे स्थान पर घटित होता है और वहां की लोकेशन नहीं आती है।
दावा: सेंकडों में ट्रेस हो जाती है लोकेशन
एसटीएफ मेरठ में तैनात डीएसपी बृजेश सिंह पहले एटीएस में भी रहे। कहना है कि सेंकडों में किसी भी मोबाइल नंबर की लोकेशन ट्रेस कर ली जाती है। एसटीएफ ने इंटरनेट कॉल के मामलों में अच्छा काम किया है। सीबीआई में रह चुके एसटीएफ मेरठ में तैनात सिपाही विकास चौधरी का भी कहना है कि इंटरनेट प्रोटोकॉल एड्रेस से पता चल जाता है कि इंटरनेट का प्रयोग किया गया है।
हकीकत: सर्विलांस आज भी नब्बे के दशक की
इसी सप्ताह आईजी पद पर प्रोन्नत आईपीएस राजेश पांडे एसटीएफ और एटीएस के संस्थापक सदस्य रहे हैं। कहते हैं कि 1998 में जब मोबाइल आया था, उस समय चुनौती थी। बाद में जैसे-जैसे मोबाइल का प्रयोग बढ़ा, पुलिस की तकनीक में ज्यादा बदलाव नहीं हो पाए। बड़े अपराधियों ने मोबाइल का इस्तेमाल ही छोड़ दिया है।
एसपी सिटी व एसपी क्राइम को आई थी धमकी भरी कॉल
एक फरवरी, 2019 को मेरठ के तत्कालीन एसपी सिटी रणविजय सिंह और एसपी क्राइम डॉ. बीपी अशोक को कजाकिस्तान से धमकी भरी कॉल आई। फोन करने वाले ने नाम भी बताया। एसपी को कॉल करने वाले ने गाली-गलौच करने के साथ ही जान से मारने की धमकी दी। कॉल इंटरनेट के जरिए की गई थी। सर्विलांस टीम ने मोबाइल नंबर की जांच शुरू की, लेकिन आरोपियों का सुराग नहीं लगा।
बद्दो ने डाली थी गलत लोकेशन
28 मार्च, 2019 को मेरठ से पुलिस हिरासत से फरार ढाई लाख के इनामी बदन सिंह बद्दो की फेसबुक आईडी से चार फरवरी, 2020 को पोस्ट डाली गई। इसमें उसकी लोकेशन नीदरलैंड की बताई गई। उस समय पुलिस अधिकारी ने कहा था कि लोकेशन के लिए विदेशी एप का प्रयोग किया। पुलिस के पास आज भी बद्दो के बारे में कोई पुख्ता जानकारी नहीं है।
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