भारत में अब कोविड-19 से ठीक होने वालों की दर बेहतर होकर 96.19 फीसदी हो गई है। इस बीच यहां एक साथ दो-दो वैक्सीन को भी हरी झंडी मिली है। तो जाहिर है इससे कोरोना को खत्म करने में भारत को काफी मदद मिलेगी। सरकार ने कहा है कि भारत में स्वीकृत कोरोना की वैक्सीन अन्य देशों में विकसित की गई किसी भी वैक्सीन के समान ही असरदार है। हालांकि भारत बायोटेक की वैक्सीन ‘कोवैक्सिन’ की प्रभावशीलता को लेकर अब सवाल उठने लगे हैं, लेकिन कंपनी के मुख्य प्रबंध निदेशक डॉक्टर कृष्णा एल्ला ने कहा कि हालांकि अभी इसकी प्रभावशीलता के संपूर्ण आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं, लेकिन इसके तीसरे चरण के आंकड़े फरवरी या मार्च तक सामने आएंगे।
आइए विशेषज्ञ से जानते हैं वैक्सीन और टीकाकरण से जुड़े कुछ सवालों के जवाब…
टीकाकरण की प्रक्रिया कब तक चलेगी?
दिल्ली स्थित गंगाराम अस्पताल के डॉ. लेफ्टिनेंट जनरल वेद चतुर्वेदी कहते हैं, ‘कोविड-19 की वैक्सीन की तुलना आप आम वैक्सीन से नहीं कर सकते। ये वैक्सीन बहुत बड़ी संख्या में लोगों को दी जानी है। पहले चरण में तीन करोड़ स्वास्थ्यकर्मियों और फ्रंटलाइन वर्कर्स को दी जाएगी। उसका बाद भी यह पहला फेज जारी रहेगा, जिसमें 30 करोड़ लोगों को वैक्सीन दी जाएगी। उसके बाद बाकी लोगों का नंबर आएगा। यह बहुत जटिल प्रक्रिया है और इसके लिए 90 हजार लोगों को प्रशिक्षण दिया गया है।’
फाइजर की वैक्सीन की तुलना में कोविशील्ड और कोवैक्सिन बेहतर क्यों मानी जा रही हैं?
डॉ. वेद चतुर्वेदी कहते हैं, ‘हमें केवल वैक्सीन के कंटेंट पर नहीं जाना है, हमें यह भी देखना है कि वैक्सीन सही ढंग से लोगों तक पहुंच जाए। कोविशील्ड और कोवैक्सिन दोनों ही दो से पांच डिग्री तापमान पर रखी जा सकती हैं, यानी कि साधारण फ्रिज में रखकर इन्हें कहीं भी भेजा जा सकता है। लेकिन फाइजर की वैक्सीन को माइनस 70 डिग्री सेल्सियस तापमान चाहिए। हमें वैक्सीन केवल दिल्ली, मुंबई नहीं पहुंचानी है, हमें तो दूरदराज के इलाकों तक वैक्सीन को लेकर जाना है। कोल्ड चेन को बनाए रखने की बातें कहना आसान है, लेकिन करना बहुत मुश्किल है।’
क्या वैक्सीन के क्लीनिकल ट्रायल के सभी परिणाम आ चुके हैं?
डॉ. वेद चतुर्वेदी कहते हैं, ‘जब ऑक्सफोर्ड और फाइजर की वैक्सीन बननी शुरू हुई, तब उसी दौरान हमारे देश की भारत बायोटेक ने भी वैक्सीन बनानी शुरू की। अब देखिए लगभग उतने ही समय में स्वदेशी वैक्सीन भी तैयार है। चूंकि समय बहुत कम था, इसलिए तीसरे चरण के ट्रायल के कुछ परिणाम अभी आने बाकी हैं। आपको बता दें कि ये वैक्सीन पूरी तरह सुरक्षित है। फिलहाल जब तक कोवैक्सीन के सारे परिणाम नहीं आ जाते और उसका डॉक्यूमेंटेशन पूरा नहीं हो जाता, तब तक उसे इमर्जेंसी के लिए रखा जाएगा।’
कोवैक्सिन और कोविशील्ड वैक्सीन में क्या अंतर है?
डॉ. वेद चतुर्वेदी बताते हैं, ‘पहला बड़ा अंतर है कि एक पूर्ण रूप से स्वदेशी वैक्सीन है और दूसरी विदेशी कंपनी के साथ बनाई गई है। कोवैक्सिन को भारत बायोटेक और आईसीएमआर ने मिलकर बनाया है। इस वैक्सीन को पारंपरिक विधि से वायरस को इनएक्टिवेट करके बनाया गया है। वहीं दूसरी वैक्सीन ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय और एस्ट्राजेनेका कंपनी ने बनाई है। इसे वायरस के जीन का प्रयोग कर बनाया गया है। दोनों वैक्सीन के लिए करीब तीन से पांच डिग्री तापमान की जरूरत होती है। इन दोनों को साधारण फ्रिज में रखा जा सकता है।’
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